झारखंड राज्य कृषि उपज और पशुधन विपणन विधेयक 2022 किसी भी तरह से ना तो जनता के हित में है और ना ही राज्य के व्यवसाय किसान व खाद्य प्रसंस्करण के हित में
बल्कि इसके प्रभावी होने से खाद्य वस्तुएं 5% तक महंगी हो जाएंगी राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ेगा इंस्पेक्टर राज कायम होगा तथा भाया दोहन बढ़ेगा साथ ही केंद्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों की अवधारणा एक देश एक कर भी आहत होगी इस विधेयक के प्रभावी होने से खाद्यान्न व्यवसायियों खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के अलावा मत्स्य पालन पशु पालन मधुमक्खी पालन बागवानी सभी इसके दायरे में आएंगे
जिस के प्रतिकूल प्रभाव से उपभोक्ता वस्तुएं महंगी होगी और बेरोजगारी बढ़ेगी इस बिल से प्राप्त राजस्व का अधिकांश हिस्सा स्थापना एवं वेतन मद में खर्च हो जाएगा पूर्व में इसकी समीक्षा के बाद पूर्व सरकार द्वारा 2015 में इस कानून को समाप्त किया गया था इसके समाप्ति के बाद राज्य में लगभग 70 चावल उद्योग की स्थापना हुई धान की मांग बढ़ने से किसानों का कृषि के प्रति आकर्षण बढ़ा है
रोजगार के अवसर बढ़े हैं इस कानून के प्रभावी होने पर यह सारी उपलब्धियां स्वता समाप्त हो जाएंगी और ऐसे लोगों को दूसरे राज्यों में पलायन हेतु विवश होना पड़ेगा झारखंड राज्य खनिज प्रधान राज्य है यहां अधिकांश खाद्य वस्तुएं अन्य राज्यों में विशेषकर जहां यह कानून प्रभावी नहीं होता है वहां से आयात होती है पिछले वर्ष 20 मई 2022 को किस विधायक को अस्थाई रूप से समाप्त करने हेतु सरकार के माननीय मंत्री आलमगीर आलम महागामा विधायक दीपिका पांडे द्वारा राज्य स्तरीय चेंबर के अधिकारियों को अस्वस्थ किया था
इन दिनों विधायक डॉक्टर इरफान अंसारी अकेला यादव कांग्रेस पार्टी के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे इत्यादि कई नेता इस विधेयक के विरोध में अपना विचार मीडिया में प्रकट कर चुके हैं उल्लेखनीय है कि मंडी शुल्क समाप्त करने हेतु पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह राष्ट्रपति स्वर्गीय प्रणब मुखर्जी सरीखे शीर्ष नेतृत्व सदैव इसका पक्षधर रहा है
डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि अच्छे प्रशासन में भ्रष्टाचार रुकावट है आज तक ब्यूरो नई दिल्ली 4 फरवरी 2011 से साभार भ्रष्टाचार सुशासन की जड़ों को खोखला करता है अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि धूमिल होती है उन्होंने महंगाई को काबू में रखने के लिए राज्य में चुंगी तथा मंडी शुल्क और स्थानीय करो को समाप्त करने की बात कही थी
विकास की ऐसी नीतियों को अनदेखा कर माननीय कृषि मंत्री बादल पत्रलेख द्वारा इस विधेयक को पुनः प्रभावी करने का औचित्य समझ से परे है पिछले 8 जनवरी 2023 से राज्य के खाद्यान्न व्यवसाई व उद्यमी आंदोलनरत हैं और 14 फरवरी तक इसे वापस लेने का संज्ञान नहीं लेने पर 15 फरवरी 2023 से खाद्य वस्तुओं का व्यापार उत्पादन और आयात अनिश्चितकालीन के लिए बंद करने के लिए घोषणा
इनके राज्य स्तरीय संगठन फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज द्वारा 8 फरवरी की आमसभा में की गई है अगर ऐसा होता है तो पूरे राज्य के लिए घातक होगा हम लोगों ने देखा है कि पूर्व में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि बिल भी किसानों एवं जनता के प्रबल विरोध के फलस्वरूप वापस लिए गए थे
अतः इसी परिपेक्ष में हमारा अनुरोध होगा कि झारखंड सरकार इस बिल को प्रदेश की जनता के हित में वापस लेने की घोषणा शीघ्र करें और प्रदेश को आंदोलन की आग में झुलसने से बचाए।